ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो
शायरी, शायरी नहीं होती।
वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।
आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन |
All content for Khayal is the property of Radio Nasha - HT Smartcast and is served directly from their servers
with no modification, redirects, or rehosting. The podcast is not affiliated with or endorsed by Podjoint in any way.
ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो
शायरी, शायरी नहीं होती।
वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।
आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन |
आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किताबे लिखी है।
Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
Khayal
ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो
शायरी, शायरी नहीं होती।
वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।
आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन |