ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो
शायरी, शायरी नहीं होती।
वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।
आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन |
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ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो
शायरी, शायरी नहीं होती।
वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।
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S2E24 | तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है - Nida Fazli
Khayal
8 minutes
4 years ago
S2E24 | तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है - Nida Fazli
आज का ख्याल शायर निदा फाजली साहब की कलम से। शायर कहते है - 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, जहां भी जाऊं ये लगता है, तेरी महफ़िल है'। निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार थे। वे 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया। उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया।
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ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो
शायरी, शायरी नहीं होती।
वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में।
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