A Podcast in Hindi/Urdu/Rekhta.
Let's have a walk into the Galiyara (alleyways) of My life or maybe Yours. We will talk Poetries. We will talk Stories. We will talk Shayaris. And yes, we will talk about Life.
Our shows:
1. Halki Fulki Baatein( Our original collection of Poems)
2. Lafz aur Lehze ( A dive into the lives of Shayars)
3. Kissey aur Kahaniya ( original collection of Stories)
4. Guftgoo ( Interviews)
Connect with us at adityaojha075@gmail.com
Creator & Narrator: Aditya Ojha
Executive Producer: Himanshu Rai
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1. Halki Fulki Baatein( Our original collection of Poems)
2. Lafz aur Lehze ( A dive into the lives of Shayars)
3. Kissey aur Kahaniya ( original collection of Stories)
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Welcome to the original storytelling by Galiyaara Podcast.
मुझे लिखने का बहुत शौक है। शायद ज़्यादातर सबको ही होता है। पर मैं लिखता बहुत कम हूँ। लोग कई बार पूछते भी हैं की "भाई बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं?" उनको कौन बताए की मेरे भीतर का लेखक मौसमी है। जिस तरह चमेली का फूल हर साल अगस्त से जनवरी तक ही निकलता है, उसी तरह मेरे लेखन का भी एक मौसम है। हालाँकि चमेली की तरह इसका कोई मौसम तय नहीं है। बेमौसम ही मौसम है। चमेली का उदहारण मैंने क्यों दिया ये मुझे मालूम नहीं। बस मन में आ गया।
हर किसी के लिखने के पीछे एक दिचस्प कहानी होती है। उसके जीवन में कुछ ऐसा घट जाता है की वो लेखक बन जाता है। कोई प्यार में होता है तो किसी को प्यार में धोका मिलता है। कोई जीत की ख़ुशी में होता है और कोई हार से हताश। इन्ही सभ घटनाओं के बीच लोग अपने भीतर का लेखक ढूंढ ही लेते हैं।
मेरी ज़िन्दगी मैं ऐसी कोई दिचस्प घटना घटी नहीं। हाँ पर इतना ज़रूर याद है की जब मैं पांचवी क्लास में था तो एक शाम दीदी ने बोल दिया किया की कल तुम भी हमारे साथ एस्से-कम्पटीशन में हिस्सा ले रहे हो। वही पहला मौका याद है जब खुद से कुछ लिखा था।
बिन ख़्यालों के हमारा लेखन कुछ नहीं है। मेरे भीतर ख्याल तो बहुत खूबसूरत आतें हैं पर मैं उनको उस क्षण लिखने में कोताही कर देता हूँ जब वो आए होते हैं। इस वजह से वो ख्याल बस ख्याल ही रह जाते हैं। ऐसे खूबसूरत ख्याल सुबह के सपने की तरह होते हैं। अगर आपने उठते ही किसी को नहीं बताया तो फिर वो याद आने से रहे। शायद इसी वजह से मैं अबतक बस अपने ख्यालों में ही एक लेखक हूँ।
ख्यालों का आना बहुत ज़रूरी है। हमारे जीवन के ज़्यादातर खूबसूरत पल हमारे ख्याल ही हैं। अपने ख्यालों में हम वो सब सोच लेते हैं जो असलियत में पॉसिबल ही नहीं है। ख्यालों की विशेषता होती है, उनकी कोई बाउंड्री नहीं होती। सभी सीमाओं से परे। गरीब अपने ख्यालों में अमीर होता है, अपराधी अपने ख्यालों में निष्कलंकित और शाम को अपने घर से बहार जाने की इजाज़त ना पाने वाली लड़की, मोटरसाइकिल पर घूमता हुआ आवारा लड़का।
ख्याल हैं कुछ भी आ सकते हैं। बिना किसी रोक टोक के।
बराबर ख़्यालों का आना ही हमें बताता है की हम ज़िंदा हैं। ज़िंदा होने के एहसास के लिए ख़्याल उतने ही ज़रूरी हैं जितना रागों में खून का बहना।
पर मैं अपने ख़्यालों में कुछ अठरंगी नहीं कर रहा होता हूँ। मेरे ख़्यालों का मुख्य आकर्षण मैं खुद ही रहता हूँ। कभी कुछ लिखता हुआ, कभी कुछ सोचता हुआ। लिखना क्या रहा हूँ ये मैं खुद नहीं जनता। सोच गहरी रहती है।
शायद मैं सोच में एक कल्पना में खोया हूँ। उस कल्पना में मैं लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। ठीक वैसे ही जैसे अभी लिख रहा हूँ। ढेर सारे ख़्याल, अनिगिनत बातें।
इन महकते हुए ख़्यालों को देख कर मैं सोचता हूँ कि कहाँ से शुरू करूँ? हर ख़याल तो अपने ऊपर सोने की वरक़ लिए इधर उधर मँडरा रहा है। जैसे ही ख़्याल को लिखने जाता हूँ वैसे ही दूसरे की चमक बढ़ने लगती है।
और ख्याल सुबह के सपने की तरह होते हैं। अगर आपने उठते ही किसी को नहीं बताया तो फिर वो याद आने से रहे।
पर क्या करूँ मुझे लिखने का बहुत शौक है। शायद ज़्यादातर सबको ही होता है। पर मैं लिखता बहुत कम हूँ। लोग कई बार पूछते भी हैं की "भाई बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं?" उनको कौन बताए की मेरे भीतर का लेखक मौसमी है।
GALIYAARA- Into the Alleyways
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Let's have a walk into the Galiyara (alleyways) of My life or maybe Yours. We will talk Poetries. We will talk Stories. We will talk Shayaris. And yes, we will talk about Life.
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1. Halki Fulki Baatein( Our original collection of Poems)
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3. Kissey aur Kahaniya ( original collection of Stories)
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