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Footri Stories
Santhosh Joseph
30 episodes
6 days ago
Kids stories help to develop a child’s imagination by introducing new ideas into their world, encouraging them and making them realise that they can, and should imagine anything they want. Join footri stories by Santhosh Joseph and delve into fascinating world of kids stories where happiness comes along with learnings.
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Bagula Aur Kekda Ki Kahani | बगुला और केकड़ा की कहानी
Footri Stories
6 minutes 13 seconds
4 years ago
Bagula Aur Kekda Ki Kahani | बगुला और केकड़ा की कहानी

Bagula Aur Kekda Ki Kahani | बगुला और केकड़ा 

यह कहानी है एक जंगल की जहां एक आलसी बगुला रहा करता था। वह इतना आलसी था कि कोई काम करना तो दूर, उससे अपने लिए खाना ढूंढने में भी आलस आता था। अपने इस आलस के कारण बगुले को कई बार पूरा-पूरा दिन भूखा रहना पड़ता था। नदी के किनारे अपनी एक टांग पर खड़े-खड़े दिन भर बगुला बिना मेहनत किए खाना पाने की युक्तियां सोचा करता था।

एक बार की बात है, जब बगुला ऐसी ही कोई योजना बना रहा था और उसे एक आइडिया सूझा। तुरंत ही वह उस योजना को सफल बनाने में जुट गया। वह नदी के किनारे एक कोने में जाकर खड़ा हो गया और मोटे-मोटे आंसू टपकाने लगा। उसे इस प्रकार रोता देख केंकड़ा उसके पास आया और उससे पूछा, “अरे बगुला भैया, क्या बात है? रो क्यों रहे हो?” उसकी बात सुनकर बगुला रोते-रोते बोला, “क्या बताऊं केंकड़े भाई, मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा है। अपनी भूख मिटाने के लिए मैंने आज तक न जाने कितनी मछलियों को मारा है। मैं कितना स्वार्थी था, लेकिन आज मुझे इस बात का एहसास हो गया है और मैंने यह वचन लिया है कि अब मैं एक भी मछली का शिकार नहीं करूंगा।”

बगुले की बात सुन कर केंकड़े ने कहा, “अरे ऐसा करने से तो तुम भूखे मर जाओगे।” इस पर बगुले ने जवाब दिया, “किसी और की जान लेकर अपना पेट भरने से तो भूखे पेट मर जाना ही अच्छा है, भाई। वैसे भी मुझे बाबा मिले थे और उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ ही समय में 12 साल के लिए सूखा पड़ने वाला है, जिस कारण सब मर जाएंगे।” केंकड़े ने जाकर यह बात तालाब के सभी जीवों को बता दी।

“अच्छा,” तालाब में रहने वाले कछुए ने चौंक कर पूछा, “तो फिर इसका क्या हल है?” इस पर बगुले भगत ने कहा, “यहां से कुछ कोस दूर एक तालाब है। हम सभी उस तालाब में जाकर रह सकते हैं। वहां का पानी कभी नहीं सूखता। मैं एक-एक को अपनी पीठ पर बैठा कर वहां छोड़कर आ सकता हूं।” उसकी यह बात सुनकर सारे जानवर खुश हो गए।

अगले दिन से बगुले ने अपनी पीठ पर एक-एक जीव को ले जाना शुरू कर दिया। वह उन्हें नदी से कुछ दूर ले जाता और एक चट्टान पर ले जाकर मार डालता। कई बार वह एक बार में दो जीवों को ले जाता और भर पेट भोजन करता। उस चट्टान पर उस जीवों की हड्डियों का ढेर लगने लगा था। बगुला अपने मन में सोचा करता था कि दुनिया भी कैसे मूर्ख है। इतनी आसानी से मेरी बातों में आ गए।

ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन केंकड़े ने बगुले से कहा, “बगुला भैया, तूम हर रोज किसी न किसी को ले जाते हो। मेरा नंबर कब आएगा?” तो बगुले ने कहा, “ठीक है, आज तुम्हें ले चलता हूं।” यह कहकर उसने केंकड़े को अपनी पीठ पर बिठाया और उड़ चला।

जब वो दोनों उस चट्टान के पास पहुंचे, तो केंकड़े ने वहां अन्य जीवों की हड्डियां देखी और उसका दिमाग दौड़ पड़ा। उसने तुरंत बगुले से पूछा कि ये हड्डियां किसकी हैं और जलाशय कितना दूर है? उसकी बात सुनकर बगुला जोर जोर से हंसने लगा और बोला, “कोई जलाशय नहीं है और ये सारी तुम्हारे साथियों की हड्डियां हैं, जिन्हें मैं खा गया। इन सभी हड्डियों में अब तुम्हारी हड्डियां भी शामिल होने वाली हैं।”

उसकी यह बात सुनते ही केंकड़े ने बगुले की गर्दन अपने पंजों से पकड़ ली। कुछ ही देर में बगुले के प्राण निकल गए। इसके बाद, केंकड़ा लौट कर नदी के पास गया और अपने बाकी साथियों को सारी बात बताई। उन सभी ने केंकड़े को धन्यवाद दिया और उसकी जय जयकार की।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें आंख बंद करके किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। मुसीबत के समय भी संयम और बुद्धिमानी से काम करना चाहिए।

Footri Stories
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