एक सुनहरी शाम,अपनी आंखों को मूंदकर,
जब देखा अपनी जिंदगी को पीछे मुडकर,
तब लगा,
जाने कितने अनगिनत क्षण जिंदगी मे आए,
जब मन पर छाए दुख के घनेरे साए,
लगता था -अब नहीं सहन कर पाऊंगी ,
बस टूट ही जाऊंगी ,छिन छिन बिखर जाऊंगी ...
एक सुनहरी शाम अपनी पलकोँ को मूंद कर ,
जब देखा अपनी जिंदगी को पीछे मुड़कर ,
लगा लोग हमेशा कहते हैँ...
हवा के झोंके के साथ एक दिन उड़ जायेंगे ,
खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाएंगे ...
एक सुनहरी शाम अपनी पलकों को मूँद कर
जब देखा अपनी ज़िंदगी को पीछे मुड़कर
तब लगा
कि वक़्त की ये कैसी खासियत है ?
वो लौटकर फिर नहीं आता है ..
हम सोचते ही रह जाते हैं और
वक़्त गुज़रता जाता हैं ..
एक सुनहरी शाम अपनी पलकों को मूँद कर ,
जब देखा अपनी ज़िंदगी को पीछे मुड़कर ,
तब लगा
की जाने कितने लोग ज़िंदगी में गए और आये,
पर सबसे मुश्किल था यह समझना ,
कि कौन हैं अपने कौन पराये !!!