
"Bombay Locale" लेकर आया है "दुनिया घर"!
क्या आइंस्टाइन को समय वैसा ही दिखता था जैसे हमें दिखता है, क्या रामानुजम को नंबर्स वाक़ई हवा में उड़ते हुए दिखते थे, क्या मैरी क्यूरी के सपने भी रेडियो-ऐक्टिव थे, भाषा के जन्म के पहले कवि हुआ करते थे क्या?
दुनियाघर ऐसी ही क्यूरियोसिटीज़ को समझने के लिए इतिहास, विज्ञान और सुपरनैचुरल को एक साथ बुनकर कुछ नया गढ़ता हैं, जो मिथ और रियल के बीच अपनी जगह खोजता है ।
आवाज़ों से बने इस घर में आपका स्वागत है । खिड़की, दरवाज़े जहां से जगह मिले, आराम से चले आइये और हमें सुनिए ।