
खुशियाँ कोई मंज़िल नहीं, एक एहसास हैं।
वो किसी बड़ी सफलता या दौलत से नहीं,
बल्कि छोटी-छोटी बातों में छुपी होती हैं —
किसी अपने की मुस्कान में,
बारिश की पहली बूँद में,
किसी पुराने दोस्त की याद में,
या बिना वजह हँस देने में।
खुश रहना कोई कला नहीं, एक आदत है।
जब हम शुक्रगुज़ार रहना सीख जाते हैं,
तो ज़िंदगी की हर सुबह,
एक नई उम्मीद लेकर आती है।