☸️🌷🌷🌷🙏🙏🙏DHAMMAPADA, which is a latter collection and compilation of Buddha's specific teachings to the individuals and small groups of people at sporadic incidents during his long his long course of wandering-cum-teaching ventures. धम्मपद पालि साहित्य का एक अमूल्य ग्रन्थ रत्न है। यद्यपि तथागत भगवान गौतम सम्यकसमबुद्धाजी ने आपने जीवनकाल में सत्वों के अध्याशय, रुचि एवं क्षमता के अनुरूप अनन्त देशनायें दी हैं, लेकिन उन सब उपदेशों का केन्द्रबिन्दु चित्त या मन का विश्लेषण करणा ही है। धम्मपद नामक यह लघु ग्रन्थ एक प्रकार से तथागत के सभी उपदेशों का सार है। जो अत्यन्त सरल, सुबोध एवं सर्वजनग्राह्य ह
All content for DHAMMAPADA Pali-Hindi।।धम्मपद पालि-हिन्दी is the property of BUDDHIST DHAMMA SANSKAR and is served directly from their servers
with no modification, redirects, or rehosting. The podcast is not affiliated with or endorsed by Podjoint in any way.
☸️🌷🌷🌷🙏🙏🙏DHAMMAPADA, which is a latter collection and compilation of Buddha's specific teachings to the individuals and small groups of people at sporadic incidents during his long his long course of wandering-cum-teaching ventures. धम्मपद पालि साहित्य का एक अमूल्य ग्रन्थ रत्न है। यद्यपि तथागत भगवान गौतम सम्यकसमबुद्धाजी ने आपने जीवनकाल में सत्वों के अध्याशय, रुचि एवं क्षमता के अनुरूप अनन्त देशनायें दी हैं, लेकिन उन सब उपदेशों का केन्द्रबिन्दु चित्त या मन का विश्लेषण करणा ही है। धम्मपद नामक यह लघु ग्रन्थ एक प्रकार से तथागत के सभी उपदेशों का सार है। जो अत्यन्त सरल, सुबोध एवं सर्वजनग्राह्य ह
. धम्मपद १. यमक-वग्गो गाथा क्र. १:३:३*
*गाथा क्र. १:३*
DHAMMAPADA Pali-Hindi।।धम्मपद पालि-हिन्दी
5 minutes 46 seconds
4 years ago
. धम्मपद १. यमक-वग्गो गाथा क्र. १:३:३*
*गाथा क्र. १:३*
☸️ *धम्मपद* ☸️
*१. यमक-वग्गो*
*गाथा क्र. १:३*
*३.* *अक्कोच्छि मं अवधि मं अजिनि मं अहासि मे ।*
*ये च तं उपनय्हन्ति वेरं तेसं न सम्मति ।।३।।*
*अनुवाद:* मुझे गाली दी, मुझे मारा, मुझे हरा दिया, मुझे लुट लिया- ऐसी बातें जो सोचते रहते हैं, मन में बांधे रखते हैं, उनका वैर कभी शांत नहीं होता ।। ३।।
DHAMMAPADA Pali-Hindi।।धम्मपद पालि-हिन्दी
☸️🌷🌷🌷🙏🙏🙏DHAMMAPADA, which is a latter collection and compilation of Buddha's specific teachings to the individuals and small groups of people at sporadic incidents during his long his long course of wandering-cum-teaching ventures. धम्मपद पालि साहित्य का एक अमूल्य ग्रन्थ रत्न है। यद्यपि तथागत भगवान गौतम सम्यकसमबुद्धाजी ने आपने जीवनकाल में सत्वों के अध्याशय, रुचि एवं क्षमता के अनुरूप अनन्त देशनायें दी हैं, लेकिन उन सब उपदेशों का केन्द्रबिन्दु चित्त या मन का विश्लेषण करणा ही है। धम्मपद नामक यह लघु ग्रन्थ एक प्रकार से तथागत के सभी उपदेशों का सार है। जो अत्यन्त सरल, सुबोध एवं सर्वजनग्राह्य ह