
वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के 52वें सर्ग में महर्षि वशिष्ठ द्वारा राजा विश्वामित्र का सत्कार और कामधेनु (नंदिनी) को अभीष्ट वस्तुओं को उत्पन्न करने का आदेश देने की कथा वर्णित है।
1. राजा विश्वामित्र का आगमन
राजा विश्वामित्र, जो एक प्रतापी राजा और महान योद्धा थे, एक दिन अपनी विशाल सेना, मंत्रियों और सेवकों के साथ महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में पहुंचे। वशिष्ठ ऋषि का आश्रम पवित्र, प्राकृतिक सुंदरता से भरा और दिव्य आभा से युक्त था।
2. महर्षि वशिष्ठ द्वारा स्वागत
महर्षि वशिष्ठ ने राजा विश्वामित्र का आदरपूर्वक स्वागत किया।
• वशिष्ठ ने राजा के लिए आसन, जल और सभी पारंपरिक सत्कार की व्यवस्था की।
• राजा विश्वामित्र ने महर्षि वशिष्ठ के तप, तेज और उनके आश्रम की दिव्यता को देखा और बहुत प्रभावित हुए।
3. अतिथ्य के लिए कामधेनु का उपयोग
राजा विश्वामित्र की विशाल सेना के स्वागत और भोजन की व्यवस्था एक साधारण आश्रम में करना कठिन था।
• महर्षि वशिष्ठ ने अपनी दिव्य कामधेनु गाय ‘नंदिनी’ से कहा:
“हे नंदिनी! तुम अपनी शक्ति से सभी आवश्यक वस्तुएं उत्पन्न करो, जिससे हमारे सभी अतिथियों का उत्तम सत्कार हो सके।”
4. कामधेनु का चमत्कार
नंदिनी गाय ने महर्षि वशिष्ठ की आज्ञा पाकर सभी प्रकार के भोजन, रसद, बिछौने, वस्त्र, आभूषण, सेवक, सैनिक, रथ, घोड़े आदि उत्पन्न कर दिए।
• राजा विश्वामित्र और उनकी पूरी सेना का अतिथ्य बहुत भव्यता से हुआ।
• सेना के सभी सैनिक और अधिकारी संतुष्ट हो गए।