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BHAGWAT GITA
Janvi Kapdi
7 episodes
5 days ago
महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।आज से (सन 2022) लगभग 5560 वर्ष पहले गीता जी का ज्ञान बोला गया था|
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महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।आज से (सन 2022) लगभग 5560 वर्ष पहले गीता जी का ज्ञान बोला गया था|
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Sankhya yog part 2
BHAGWAT GITA
24 minutes 35 seconds
3 years ago
Sankhya yog part 2

सांख्य योग – भाग 2 (अध्याय 2 का उत्तरार्ध)1. निष्काम कर्म का सिद्धांत (Karma Yoga का बीज)

कृष्ण अर्जुन से कहते हैं –
👉 “तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों पर कभी नहीं।”

  • कर्म करना मनुष्य का कर्तव्य है।

  • फल की आसक्ति (लालच या भय) मन को बाँध लेती है।

  • जब हम केवल कर्म पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मन स्थिर और शांत होता है।

कृष्ण बताते हैं कि स्थितप्रज्ञ पुरुष (जिसका ज्ञान स्थिर हो गया हो) कैसा होता है –

  • सुख-दुख में समान रहता है।

  • क्रोध, लोभ और मोह से मुक्त होता है।

  • इन्द्रियों को वश में रखता है, बाहर की इच्छाओं में नहीं भटकता।

  • ऐसा व्यक्ति आत्मज्ञान में स्थित होकर शांति और आनंद पाता है।

  • इन्द्रियाँ मनुष्य को बाहर की इच्छाओं की ओर खींचती हैं।

  • यदि मन उन पर नियंत्रण न रखे तो वे ज्ञान को नष्ट कर देती हैं।

  • जो साधक अपने मन और इन्द्रियों को संयमित करता है, वही स्थिर चित्त होकर योग में स्थित रह सकता है।

कृष्ण समझाते हैं –

  • इन्द्रियों का विषयों में आसक्ति → इच्छा → क्रोध → मोह → स्मृति का नाश → बुद्धि का नाश → और अंततः पतन।

  • जबकि इन्द्रियों का संयम → मन की स्थिरता → आत्मज्ञान → और अंत में परम शांति।

  • सच्चा योग वही है जिसमें व्यक्ति केवल अपने कर्तव्य को करता है, लेकिन परिणाम से जुड़ा नहीं रहता।

  • स्थितप्रज्ञ बनना ही जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि है।

  • जब इन्द्रियाँ, मन और बुद्धि संतुलित होते हैं, तब मनुष्य मोह और दुख से मुक्त होकर परम शांति को प्राप्त करता है।

सांख्य योग का दूसरा भाग हमें निष्काम कर्म और स्थितप्रज्ञ जीवन की ओर ले जाता है। कृष्ण अर्जुन को यह समझाते हैं कि युद्ध का निर्णय परिणाम के डर या मोह से नहीं, बल्कि धर्म और कर्तव्य के आधार पर होना चाहिए।

2. स्थितप्रज्ञ (Stithaprajna) पुरुष का स्वरूप3. इन्द्रिय और मन का नियंत्रण4. मोह और शांति का संबंधमुख्य संदेश (Part 2 का निष्कर्ष)सारांश


BHAGWAT GITA
महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।आज से (सन 2022) लगभग 5560 वर्ष पहले गीता जी का ज्ञान बोला गया था|