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BEBAS HAI RAAT - SEASON 1
Harshkumar Badheka
8 episodes
6 days ago
दो शब्द में कोई कवि,शायर या ग़ज़लकार नहीं हूँ । वास्तविकता यह है कि मुझे स्वयं को कवि अथवा शायर कहने में भी हिचकिचाहट होती है , क्योंकि मैं कविता , शायरी या ग़ज़ल की परिधियों में बांधने से डरता हूँ । मैं खुले मन से जो जी में आये ईमानदारी से कहना चाहता हूँ । खुलकर शब्दो में व्यक्त करना चाहता हूँ । मेरा मानना है कि हर व्यक्ति के भीतर किसी न किसी क्षणं कविता अवश्य जन्म लेती है चाहे वह ख़ुशी के पलों में हो या अवसाद क्षणो में या फिर हम भाव विह्लल हो । कोई भी रचना,रचनाकार के हृदयस्थ भाव रस का उच्छलन है । जब भाव बहार आने की छटपटाहट से ह्रदय को उदवेलित कर देता है तब कविता का जन्म होता है । तात्पर्य यह है कि कविता किसी पूर्व निर्धारित रूहरेखा के आधार पर नहीं लिखी जाती है । वह कवि को बाध्य करके अपने आपको लिखवा लेती है । कविता लेखन में सम्पूर्ण एकाग्रता अथवा समाधि की आवश्यकता पड़ती है । यह काव्य संग्रह मेरा एक छोटा सा प्रयास है अपने आस पास , अपने अंतर्मंन एवं स्वप्नलोक में चलने वाली घटनवाओ , द्र्श्यो को शब्द में व्यक्त करने का । इस काव्य संग्रह में सन २०१५ के बाद लिखी गई मेरी काव्य रचनाएं संग्रहित है । कवितायें , ग़ज़ले एवं मुक्तक रचनाएं जो कुछ भी है , वे साहित्यिक एवं बौद्धिक स्तर दॄष्टि से किस स्तर पर है इसका आंकलन एवं मूल्यांकन तो विद्वान , प्रबुद्ध एवं रसिक पाठक ही करेंगे । परन्तु मैं आत्माभिव्यक्ति के रूप में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मैंने अपने अंतर्मन के सच , स्वप्नलोक की अनुभूतियों एवं जनसुलभ संवेदनाओ की अभिव्यक्ति मुक्म छन्दों के माध्यम से पूरी ईमानदारी से की है । धन्यवाद!
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दो शब्द में कोई कवि,शायर या ग़ज़लकार नहीं हूँ । वास्तविकता यह है कि मुझे स्वयं को कवि अथवा शायर कहने में भी हिचकिचाहट होती है , क्योंकि मैं कविता , शायरी या ग़ज़ल की परिधियों में बांधने से डरता हूँ । मैं खुले मन से जो जी में आये ईमानदारी से कहना चाहता हूँ । खुलकर शब्दो में व्यक्त करना चाहता हूँ । मेरा मानना है कि हर व्यक्ति के भीतर किसी न किसी क्षणं कविता अवश्य जन्म लेती है चाहे वह ख़ुशी के पलों में हो या अवसाद क्षणो में या फिर हम भाव विह्लल हो । कोई भी रचना,रचनाकार के हृदयस्थ भाव रस का उच्छलन है । जब भाव बहार आने की छटपटाहट से ह्रदय को उदवेलित कर देता है तब कविता का जन्म होता है । तात्पर्य यह है कि कविता किसी पूर्व निर्धारित रूहरेखा के आधार पर नहीं लिखी जाती है । वह कवि को बाध्य करके अपने आपको लिखवा लेती है । कविता लेखन में सम्पूर्ण एकाग्रता अथवा समाधि की आवश्यकता पड़ती है । यह काव्य संग्रह मेरा एक छोटा सा प्रयास है अपने आस पास , अपने अंतर्मंन एवं स्वप्नलोक में चलने वाली घटनवाओ , द्र्श्यो को शब्द में व्यक्त करने का । इस काव्य संग्रह में सन २०१५ के बाद लिखी गई मेरी काव्य रचनाएं संग्रहित है । कवितायें , ग़ज़ले एवं मुक्तक रचनाएं जो कुछ भी है , वे साहित्यिक एवं बौद्धिक स्तर दॄष्टि से किस स्तर पर है इसका आंकलन एवं मूल्यांकन तो विद्वान , प्रबुद्ध एवं रसिक पाठक ही करेंगे । परन्तु मैं आत्माभिव्यक्ति के रूप में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मैंने अपने अंतर्मन के सच , स्वप्नलोक की अनुभूतियों एवं जनसुलभ संवेदनाओ की अभिव्यक्ति मुक्म छन्दों के माध्यम से पूरी ईमानदारी से की है । धन्यवाद!
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TOOTA HUA CHAND...
BEBAS HAI RAAT - SEASON 1
5 years ago
TOOTA HUA CHAND...
POEM 6 - TOOTA HUA CHAND...
BEBAS HAI RAAT - SEASON 1
दो शब्द में कोई कवि,शायर या ग़ज़लकार नहीं हूँ । वास्तविकता यह है कि मुझे स्वयं को कवि अथवा शायर कहने में भी हिचकिचाहट होती है , क्योंकि मैं कविता , शायरी या ग़ज़ल की परिधियों में बांधने से डरता हूँ । मैं खुले मन से जो जी में आये ईमानदारी से कहना चाहता हूँ । खुलकर शब्दो में व्यक्त करना चाहता हूँ । मेरा मानना है कि हर व्यक्ति के भीतर किसी न किसी क्षणं कविता अवश्य जन्म लेती है चाहे वह ख़ुशी के पलों में हो या अवसाद क्षणो में या फिर हम भाव विह्लल हो । कोई भी रचना,रचनाकार के हृदयस्थ भाव रस का उच्छलन है । जब भाव बहार आने की छटपटाहट से ह्रदय को उदवेलित कर देता है तब कविता का जन्म होता है । तात्पर्य यह है कि कविता किसी पूर्व निर्धारित रूहरेखा के आधार पर नहीं लिखी जाती है । वह कवि को बाध्य करके अपने आपको लिखवा लेती है । कविता लेखन में सम्पूर्ण एकाग्रता अथवा समाधि की आवश्यकता पड़ती है । यह काव्य संग्रह मेरा एक छोटा सा प्रयास है अपने आस पास , अपने अंतर्मंन एवं स्वप्नलोक में चलने वाली घटनवाओ , द्र्श्यो को शब्द में व्यक्त करने का । इस काव्य संग्रह में सन २०१५ के बाद लिखी गई मेरी काव्य रचनाएं संग्रहित है । कवितायें , ग़ज़ले एवं मुक्तक रचनाएं जो कुछ भी है , वे साहित्यिक एवं बौद्धिक स्तर दॄष्टि से किस स्तर पर है इसका आंकलन एवं मूल्यांकन तो विद्वान , प्रबुद्ध एवं रसिक पाठक ही करेंगे । परन्तु मैं आत्माभिव्यक्ति के रूप में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि मैंने अपने अंतर्मन के सच , स्वप्नलोक की अनुभूतियों एवं जनसुलभ संवेदनाओ की अभिव्यक्ति मुक्म छन्दों के माध्यम से पूरी ईमानदारी से की है । धन्यवाद!