
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्मदिवस के अवसर पर प्रस्तुत है मेरी एक रचना। आज का भारतीय, सोशल मीडिया पर फैले अनेक प्रपंचों और अनर्गल दुष्प्रचार के कारण अनेक भ्रांतियों का शिकार हो चुका है। सम्पूर्ण विश्व जहाँ आज गाँधीजी को भावपूर्ण श्रद्धानाजली दे रहा है, हम में से अनेक, भ्रमजाल में उलझ उनकी आलोचना में व्यस्त हैं। इस अभिव्यक्ति के जरिए मेरी कोशिश है कि हम भारत को उस काल के परिपेक्ष को समझें और फिर गाँधीजी के कृत्यों की समीक्षा करें। गाँधी का वह विराट चर्तित्र जिसने विश्व के अनेकों गण्यमान विभूतियों को आकृष्ट किया है, उनके बहुमुखी आयामों को एक द्वारा व्यक्त किया जाना संभव ही नहीं है। मेरे लिए तो कदापि नहीं। आज की इस अभिव्यक्ति में हम चर्चा करेंगे गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका से वापस आने के भारत पर व उनके असहयोग आंदोलन पर। तो प्रस्तुत है मेरी रचना