यह सत्संग माधुरी श्रृंखला, कई दोहो क संग्रह है। इन दोहों को मैंने स्वयं के अनुभव, गुरूजनों के उपदेश तथा शास्त्र के आधार पर संकलित किया है। इसमें अध्यात्मक के विषयों को दोहों के माध्यम से आसान बनाकर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसके लिखने तथा वाचन का प्रमुख उद्येश्य स्वयं का आध्यात्मिक उत्थान, जन-कल्याण और ईश्वर सेवा की भावना निहित है। आशा है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा।
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यह सत्संग माधुरी श्रृंखला, कई दोहो क संग्रह है। इन दोहों को मैंने स्वयं के अनुभव, गुरूजनों के उपदेश तथा शास्त्र के आधार पर संकलित किया है। इसमें अध्यात्मक के विषयों को दोहों के माध्यम से आसान बनाकर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसके लिखने तथा वाचन का प्रमुख उद्येश्य स्वयं का आध्यात्मिक उत्थान, जन-कल्याण और ईश्वर सेवा की भावना निहित है। आशा है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा।
दोहा 02:- व्यास, वाल्मिीकि, तुलसी सम, सागर सेतु बनाए । सहज, सुलभ भव पार कर सकें हम, बिना श्रम लगाए।।
सत्संग माधुरी
4 minutes 56 seconds
6 years ago
दोहा 02:- व्यास, वाल्मिीकि, तुलसी सम, सागर सेतु बनाए । सहज, सुलभ भव पार कर सकें हम, बिना श्रम लगाए।।
इस दोहे के माध्यम से हम संतों एवं सज्जनों की महत्व को जानेगें और जानेगें कि वो क्यों और कैसे हमारी मदद करते है?
सत्संग माधुरी
यह सत्संग माधुरी श्रृंखला, कई दोहो क संग्रह है। इन दोहों को मैंने स्वयं के अनुभव, गुरूजनों के उपदेश तथा शास्त्र के आधार पर संकलित किया है। इसमें अध्यात्मक के विषयों को दोहों के माध्यम से आसान बनाकर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसके लिखने तथा वाचन का प्रमुख उद्येश्य स्वयं का आध्यात्मिक उत्थान, जन-कल्याण और ईश्वर सेवा की भावना निहित है। आशा है आपको मेरा यह प्रयास पसंद आएगा।