तुम पूछते हो कि हम क्या लिखते हैं ,हम खुदा को जमीं पर ला कर उसके गुनाहों की दास्तान लिखते हैं | पंख टूट कर गिर जाने वाले परिंदे के अरमान लिखते हैं || ये आंधियां अपनी औकात मे रहें इसलिए हम तूफान लिखते हैं|| अब इससे ज्यादा और क्या कहूँ मेरे हुज़ूर हम अपने दुश्मन को ही अपनी जान लिखते है||
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तुम पूछते हो कि हम क्या लिखते हैं ,हम खुदा को जमीं पर ला कर उसके गुनाहों की दास्तान लिखते हैं | पंख टूट कर गिर जाने वाले परिंदे के अरमान लिखते हैं || ये आंधियां अपनी औकात मे रहें इसलिए हम तूफान लिखते हैं|| अब इससे ज्यादा और क्या कहूँ मेरे हुज़ूर हम अपने दुश्मन को ही अपनी जान लिखते है||
All the poetry in this segment related to me and her. I have expressed my feelings via poetry in this segment.
मेरा शायराना सफर
तुम पूछते हो कि हम क्या लिखते हैं ,हम खुदा को जमीं पर ला कर उसके गुनाहों की दास्तान लिखते हैं | पंख टूट कर गिर जाने वाले परिंदे के अरमान लिखते हैं || ये आंधियां अपनी औकात मे रहें इसलिए हम तूफान लिखते हैं|| अब इससे ज्यादा और क्या कहूँ मेरे हुज़ूर हम अपने दुश्मन को ही अपनी जान लिखते है||