
उरांव स्टोरीटेलर डॉ. फ्रांसिस्का कुजूर की कहानी सुनिए सुप्रसिद्ध रंगकर्मी शैलजा बाला से
जोहार। आज हम बाँखड़ी गमना (कहो कहानी) में हाजिर हुए हैं उरांव आदिवासी समुदाय की और गुमला के पुग्गू टोली की रहने वाली स्टोरीटेलर डॉ. फ्रांसिस्का कुजूर की कहानी ‘मूसल’ के साथ। इस कहानी को सुना रही हैं रांची (झारखंड) की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री, रंगकर्मी और झारखंड की पहली महिला फिल्म निर्देशक शैलजा बाला। झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की ओर से कार्यक्रम को प्रस्तुत कर रही हैं युवा आदिवासी स्कॉलर प्रीति रंजना डुंगडुंग।
बाँखड़ी गमना (कहो कहानी) का उद्देश्य है- घर पर रुकिए, सुरक्षित रहिए और परिवार-समुदाय की देखभाल कीजिए। आदिवासी स्टोरीटेलरों की कहानियों को रोजाना रात 10 बजे आप फेसबुक के आदिवासी साहित्य पेज और झारखंडी अखड़ा के यूट्युब व साउंडक्लाउड चैनल पर सुन सकते हैं।
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