सुरेंद्र अंचल री लिखी राजस्थानी कहाणी दूध माँ रो, ईण का'णी रे माय अेक लुगाई री दूजी लुगाई खातर जो पीड़ है उणनै दिखाबा रो प्रयास करयो गियो है