रवींद्र नाथ टैगोर की कहानियाँ Rabindranath Tagore ki Kahaniyan
Arpaa Radio
21 episodes
4 months ago
हिन्दी भाषा में साहित्य का विशाल और समृद्ध खज़ाना लिखित रूप में मौजूद है। डिजिटल युग में बहुत ही दुर्लभ पुस्तकें भी स्कैन की हुई इंटरनेट पर मिल जाती हैं। e-library की स्थापना और डिजिटल संग्रह लगातार खुलते जा रहे हैं। लेकिन अंग्रेज़ी की तरह हिन्दी साहित्य अभी आडिओ रूप में बहुत ज़्यादा संख्या में नहीं है। इस संग्रह को बढ़ाने में मेरा एक छोटा सा सहयोग इस पॉडकास्ट के माध्यम से आपके पास तक पहुँच रहा है। कुछ बड़े, नामी पुराने साहित्यकारों की कहानियाँ, कुछ नए कहानीकारों की कहानियाँ सुनते रहिए….पॉडकास्ट सुनें कहानी संज्ञा से के माध्यम से।
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हिन्दी भाषा में साहित्य का विशाल और समृद्ध खज़ाना लिखित रूप में मौजूद है। डिजिटल युग में बहुत ही दुर्लभ पुस्तकें भी स्कैन की हुई इंटरनेट पर मिल जाती हैं। e-library की स्थापना और डिजिटल संग्रह लगातार खुलते जा रहे हैं। लेकिन अंग्रेज़ी की तरह हिन्दी साहित्य अभी आडिओ रूप में बहुत ज़्यादा संख्या में नहीं है। इस संग्रह को बढ़ाने में मेरा एक छोटा सा सहयोग इस पॉडकास्ट के माध्यम से आपके पास तक पहुँच रहा है। कुछ बड़े, नामी पुराने साहित्यकारों की कहानियाँ, कुछ नए कहानीकारों की कहानियाँ सुनते रहिए….पॉडकास्ट सुनें कहानी संज्ञा से के माध्यम से।
रवींद्र नाथ टैगोर की कहानियाँ Rabindranath Tagore ki Kahaniyan
36 minutes
6 years ago
रवीन्द्र नाथ टैगोर की कहानियां : हेमू, Hemu,
रवीद्र नाथ टैगोर के उपन्यास, बड़ी व छोटी कहानियों में 'हेमू' को छोटी कहानियों के श्रेणी में रखा गया है। हर माता पिता अपनी बेटी को संस्कार देते हैं, हर खूबी को उसमें डालने की कोशिश करते हैं, पाल पोसकर तयार करके उसको दूसरे घर को समृद्ध करने के लिए दान कर देते हैं। अब ये हर लड़की की किस्मत कि उसको कैसा घर-परिवार-पति मिले। प्रस्तुत कहानी कि नायिका अपने पिता की चहेती शिशिर उर्फ हेमू भी कन्यादान के पश्चात दूसरे घर आई। पति उसको समझने वाला था, किन्तु परिवार के अन्य सदस्यों की नज़र में खरा उतरने के लिए उसने खुद को तपा डाला, अपनी भावनाओं को जला डाला, इच्छाओं को दफन कर दिया .....फिर भी क्या वो सामंजस्य बैठा पायी? अपने लिए खुशियाँ जुटा पायी? पति का साथ दे पायी?
रवींद्र नाथ टैगोर की कहानियाँ Rabindranath Tagore ki Kahaniyan
हिन्दी भाषा में साहित्य का विशाल और समृद्ध खज़ाना लिखित रूप में मौजूद है। डिजिटल युग में बहुत ही दुर्लभ पुस्तकें भी स्कैन की हुई इंटरनेट पर मिल जाती हैं। e-library की स्थापना और डिजिटल संग्रह लगातार खुलते जा रहे हैं। लेकिन अंग्रेज़ी की तरह हिन्दी साहित्य अभी आडिओ रूप में बहुत ज़्यादा संख्या में नहीं है। इस संग्रह को बढ़ाने में मेरा एक छोटा सा सहयोग इस पॉडकास्ट के माध्यम से आपके पास तक पहुँच रहा है। कुछ बड़े, नामी पुराने साहित्यकारों की कहानियाँ, कुछ नए कहानीकारों की कहानियाँ सुनते रहिए….पॉडकास्ट सुनें कहानी संज्ञा से के माध्यम से।